हम सभी अपने जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं। कभी-कभी आपको इन परिस्थितियों का सामना करना मुश्किल हो सकता है, इसलिए हम भगवद गीता उद्धरण (Bhagavad Gita Quotes in Hindi) के साथ आए हैं जो इन कठिन समयों को पूरा करने में आपकी सहायता और मार्गदर्शन करेगा।
यदि आप भारतीय हैं, तो आपने भगवद गीता के बारे में सुना होगा या इसके कुछ उद्धरणों को भी सुना होगा। भगवद गीता को सभी सवालों के जवाब के रूप में जाना जाता है।
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Bhagavad Gita Quotes In Hindi
- “व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करें।”
- “मैं समस्त प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूं।”
- “मैं सभी प्राणियों को एकसमान रूप से देखता हूं। मेरे लिए ना कोई कम प्रिय है ना ज्यादा, लेकिन जो मनुष्य मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं। वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूं।”
- “जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।”
- “”जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं।”
- “जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ कर देता हूँ।”
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- “जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं |”
- “बुरे कर्म करने वाले, सबसे नीच व्यक्ति जो राक्षसी प्रवित्तियों से जुड़े हुए हैं, और जिनकी बुद्धि माया ने हर ली है वो मेरी पूजा या मुझे पाने का प्रयास नहीं करते।”
- “भगवान प्रत्येक वस्तु में है और सबके ऊपर भी।”
- “सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और।”
- “भय, राग द्वेष और आसक्ति से रहित मनुष्य ही इस लोक और परलोक में सुख पाते हैं।”
- “मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है।”
- “जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।”
- “ऐसा कुछ भी नहीं, चेतन या अचेतन, जो मेरे बिना अस्तित्व में रह सकता हो।”
- “तुम खुद अपने मित्र हो और खुद ही अपने शत्रु।”
- “आपके सार्वलौकिक रूप का मुझे न प्रारंभ न मध्य न अंत दिखाई दे रहा है।”
- “मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूँ।”
- “लोग आपके पमान के बारे में हमेशा बात करेंगे. सम्मानित व्यक्ति के लिए अपमान मृत्यु से बदतर है।”
- “मन की गतिविधियों, होश, श्वास और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है।”
- “जो हुआ वह अच्छे के लिए हुआ है, जो हो रहा है वह भी अच्छे के लिए ही हो रहा है, और जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा।”
- “मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।”
- “आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो। अनुशाषित रहो। उठो।”
- “अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है।”
- “सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है और ना ही कहीं और।”
- “जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में है, जीवन तो केवल इस पल में है अर्थात इस पल का अनुभव ही जीवन है।”
- “लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे। सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बदतर है।”
- “जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में है, जीवन तो केवल इस पल में है अर्थात इस पल का अनुभव ही जीवन है।”
- “मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है,जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।”
- “उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा। जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता।”
- “आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो। अनुशाषित रहो। उठो।”
- “व्यक्ति जो चाहे बन सकता है. यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।”
- “मनुष्य अपनी वासना के अनुसार ही अगला जन्म पाता है ।”
- “क्रोध से भ्रम पैदा होता है। भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।”
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Mahadev Quotes in Hindi
- “जीवन न तो भविष्य में है और ना ही अतीत में, जीवन तो बस इस पल में है।”
- “मैं सभी प्राणियों को सामान रूप से देखता हूँ; ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक। लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ।”
- “मन की गतिविधियों, होश, श्वास और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है।”
- “प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं करता।”
- “बुद्धिमान व्यक्ति कामुक सुख में आनंद नहीं लेता।”
- “हे अर्जुन! हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं। मुझे याद हैं, लेकिन तुम्हे नहीं।”
- “जो व्यक्ति आध्यात्मिक जागरूकता के शिखर तक पहुँच चुके हैं, उनका मार्ग है निःस्वार्थ कर्म। जो भगवान् के साथ संयोजित हो चुके हैं उनका मार्ग है स्थिरता और शांति।”